शुक्रवार, 23 मार्च 2018

मैं नन्हीं सी बूँद हूँ , देती जीवन दान।
मुझे सुरक्षित रखने का , दे दो सब को ज्ञान। ।

वेधा सिंह
कक्षा-पांचवीं 

रविवार, 18 मार्च 2018

आधुनिकता

                                                               आधुनिक भारत

आधुनिकता तो एक सोच है, एक विचार है, जो व्यक्ति को इस दुनिया के प्रति अधिक जागरूक व मानवीय दृष्टिकोण से जीने का सही मार्ग दिखलाती है। सही मायने में सही समय पर सही मौके पर अपने व्यक्तित्व को आकर्षक ड्रेस से सजाना, सही भाषा का प्रयोग तथा समय पर सोच समझकर फैसला लेने की क्षमता, समझदारी और आत्मविश्वास का मिला-जुला रूप ही आधूनिकता।भारत में आधुनिकता ने लोगों को कई तरह से बढ़ावा दिया है। मगर आधुनिकता ने कई तरह से लोगों को कई तरह की बिमारियों से ग्रस्त भी किया है। आधुनिकता ने गांव के लोगों को कई तरह से बढ़ावा दिया है। लोगों की सोच में बहुत हद तक विकास हुआ है। लड़कियों को बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है। लोगों को हर तरह की सुविधाएं दी जाती है। अब मैं आप सभी को आधुनिकता से होने वाले नुकसानों से ज्ञात कराना चाहुंगी। भारत में आधुनिकता ने लोगों को कुछ दिया है तो उनसे कुछ छीना भी है। लोगों को सब तरह की सुविधाएं देने के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है। इससे प्रदूषण बढ़ते जा रहा है। रिश्तों पर आधुनिकता का सबसे बड़ा असर पड़ा है।लोग सारा दिन मोबाइल पर लगे रहते हैं और अब तो सबको को एक दूसरे से ज्यादा मोबाइल से प्यार हैं। इसी वजह से लोगों को कई तरह के बिमारियां हो रहा है।लड़कियां भी आधुनिकता का ग़लत इस्तेमाल कर रही हैं। हम सभी को आधुनिकता का सही तरह से उपयोग करना चाहिए।

मंगलवार, 13 मार्च 2018

मित्र

मित्र
होता एक अनमोल रतन-धन ,
स्वच्छ-पाक होता है तन - मन। 
मिलती है ये दोस्ती बड़ी मुश्किल से,
   मिलता है ये पाक प्यार के समंदर से।
    दोस्ती भी यारों न जाने कैसी बला है, 
      मुहब्बत भी न कर पाई इससे मुकाबला है।
     मित्र करता हर मुसीबत में सहयोग,
     प्रकृति का ये कैसा अद्भुत संजोग।
मित्र के बिना सूना- सूना ये संसार,
कितना पाक-पवित्र ये प्यार । 
दोस्ती तो है सब शैतानों की नानी ,
करते दोस्त मिल-जुल कर मनमानी। 
हर ग़मों के तारो को बाट लेते हैं दोस्त,
हर नामुमकिन को मुमकिन कर देते है दोस्त।
                                                        -विधा सिंह 
                                                           -कक्षा-चौथी  

            

मेरी संस्मरणीय यात्रा

दो साल पहले मैं अपने माता पिता के साथ माता वैष्णो देवी की यात्रा पर गयी थी। वहां मेरे साथ एक संस्मरणीय घटना घटी। मुझे और मेरी बहन को अचानक ठण्ड लगने लगी। हम दोनों वहां के डिसप्लिनरी हाउस में जाकर सो गए। अचानक मुझे होश आया तो मैं पहाड़ी पे न जाने कहाँ आ गयी थी। मैं चारो तरफ नज़र दौराई मुझे डीसप्लिनरी हाउस कहीं नज़र नहीं आया। मैं अपने दिमाग पे ज़ोर डाली तो मुझे लगा जैसे मैं वहां किसी का पीछा करते हुए आयी। मुझे कुछ नहीं पता की रास्ता कैसा था या फिर मैं वहां आयी कैसे। जिसका पीछा करती हुई मैं वहां आयी वो काली पैंट पहना हुआ था। एक बात इस घटना के बारे में मुझे बहुत अजीब लग रही हैं जिस काली परछाई का मैं पीछा कर रही थी वो अचानक गायब हो गयी। मुझे डर लगने लगा। मैं रोने लगी। मैं माँ से दुआ करने लगी की काश ये मेरा सपना हो। मैं अपने आपको थप्पड़ भी मारी। तभी मुझे अहसास हुआ की ये सब हकीकत है। तभी मुझे एक पुलिस ने देख लिया। वो मुझे एक रूम में ले गया। डर के मारे मेरी पैंट गीली हो गई। कुछ पुलिस मुझे बिस्कुट के पैकेट ला के दिए ताकी मैं रोना बंद कर दूँ। और बिलकुल वैसा ही हुआ मैं रोना बंद कर दी।  मेरे नाम की अनाउंसमेंट करवाई गई। मगर पापा मम्मी का कोई पता नहीं मिला। कुछ देर बाद पुलिस मुझे डिसप्लिनरी हाउस ले जाने की बात कर रहे थे। तभी अचानक पापा वहाँ आ गए। वो बहुत परेशान लग रहे थे। वो मुझे मारने के लिए हाथ उठाये तभी पुलिस ने उनका हाथ पकड़ा और बोले 'बच्ची ऐसे ही डरी हुई हैं इसे और मत डराइए।' मैं जब मम्मी और दीदी के पास पहुंची तो दोनों मुझसे लिपट गए। सब पूछने लगे की मैं कहाँ गई और कैसे गई? पर मैं क्या कहती मुझे खुद नहीं पता। मम्मी ने कहा ' बेटा तुम उतनी दूर उन जंगलों के पार कैसे गई और क्यों गई।' मैंने सबको ये बात बताई तो किसी ने मुझ पर विशवास नहीं किया। आज तक मेरे अंदर उस रहस्य को जानने की उत्सुकता हैं की वो कौन था जो मुझे जंगल के पार उतना दूर ले गया ? इसी घटना के कारण ये यात्रा मेरी संस्मरणीय यात्रा है। 
                                                                                     -विधा सिंह 
                                                                                     -कक्षा -चौथी 

लेखनी

मैं न रहूंगी कल , न मेरा वजूद। 
पर लेखनी की ध्वनि में , रह लूंगी मौजूद। 

सोमवार, 12 मार्च 2018

कलम

तीन अक्षर का शब्द होता है कलम ,
उलट - फेर कर दो तो खिल जाता है कमल।

जब चलती है तेज कलम की धार ,
उसके सामने  झुक जाती है तूफानी तलवार।

कलम  ज्ञान का दीप जलाकर हरता है अंधकार ,
प्रेम पत्र को लिखकर मिलता है दो दिलों की तार।

कलम मनुष्य को कराता सभ्यता का ज्ञान,
सिखाता करना सभी का मान-सम्मान।

कलम किताब में बांधकर लिखता है इतिहास  ,
कलम दोहा, कविता चाँद से करता है परिहास। 

जिसने कलम को हाथ में पकड़ना सीख लिया ,
मानो वो इंसान जिंदगी जीना सीख  लिया। 

जब शब्द बिखेरती है तो बनाती है अलफ़ाज़,

कलम की ताकत का नहीं कोई अंदाज।
वेधा सिंह
पांचवीं   

सपनों की संस्मरणीय यात्रा

 वैसे मैंने तो बहुत यात्रा की है। मगर उनमे से एक भी मेरे सपनो की यात्रा जैसी नहीं है। मुझे लगता है आप सभी को जानने का  मन कर रहा होगा कि मेरी सपनो की यात्रा कैसी है ?  मुझे लगता है पढ़ते पढ़ते कहीं आप सभी भी  सपनो में खो न जाएँ ! तो चलिए, मेरे सपनों की संस्मरणीय यात्रा पर। मेरे सपनो की यात्रा में एक सुन्दर देश है। वहाँ सब कोई दुःख , परेशानी और छल -प्रपंच से परे है। वहाँ सूर्य ऊर्जा,पवन चक्की अदि से बिजली का काम होता है। प्राकृतिक संसाधनों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। जल तथा वायु शुद्ध है। हर तरफ हरियाली ही हरियाली है। वहां पे पेड़ों की कटाई होती है मगर उस पर एक खास कानून है। अगर किसी ने वहाँ पेड़ काटे तो उसके बदले उन्हें वहां एक अंकुर गारना पड़ता है ताकि प्रकृति में संतुलन बना रहे। वहाँ सभी लोग प्रेम से रहते हैं। वहां हिंसा नाम की कोई चीज ही नहीं है। वहाँ चिड़ियाँ जानवर सभी आदमी की भाषा जानते है। वहां एक अलग फूलों का देश है। फूलों के देश में अलग-अलग प्रकार के फूल हैं।  वैसे वहां सभी व्यक्ति फूल के ताज, बैंड अदि पहनते है। वहां तितली बातें करती है और भौरे मीठे स्वर में गुनगुनाते हैं। वैसे अब मैं आपको एक अटपटी चीज़ बताने वाली हुँ उस देश के बारे में। वहां बन्दर पेड़ पे नहीं पानी में कूदते हैं और मेंढक पानी की जगह पेड़ पर उल्टा लटकते है। वहाँ एक जगह हैं जिसे चॉकलेट पार्क कहते है। वह जगह बच्चों का सबसे प्रिय जगह है। वहाँ एक बड़ी सी चॉकलेट नदी है। वहां के पेड़ भी चॉकलेट, वनीला, स्ट्रॉबेरी अदि फ्लेवर के है। वहां एक चोको एवेरेस्ट नाम का पहार है।  वो पूरा ऊपर से चॉक्लेट से ढाका हुआ है। वहाँ सूरज पीले क्रीम का बना है। बादल मखन्न के है। वहाँ बारिश निम्बू पानी का होता  है। वहां एक खास छाता भी होता है। छाते के ऊपर एक बड़ा कटोरा होता है। उस कटोरे के चारो तरफ बड़े बड़े गिलास होते है। ताकि हमारा स्वादिष्ट निम्बू पानी बर्बाद न हो जाये। वैसे मैंने विज्ञानं में रेन वाटर हार्वेस्टिंग पढ़ा है। मगर इस देश में लेमनेड हार्वेस्टिन होता है। यहाँ बर्फ की जगह यम्मी बटर बॉल्स गिरते है। मुझे तो अब लिखते लिखते भूख लगने लगी हैं। वैसे यहाँ एक परी भी रहती है।  वो बहुत समझदार परी हैं। वो सभी परेशानियों का हल आराम से निकाल लेती है। बच्चे उन्हें बहुत पसंद है और वो उन्हें रोज रात चोको बिस्कुट तोहफे में देती हैं।  अगर आप सभी इस सुन्दर देश में जाना जाते है तो आपको बस एक अच्छी नींद लेनी होगी। तो आज रात आराम से सोइयेगा और इस सुन्दर देश पहुँचिएगा।       

शनिवार, 10 मार्च 2018

मुक्तक