मित्र
होता एक अनमोल रतन-धन ,
स्वच्छ-पाक होता है तन - मन।
मिलती है ये दोस्ती बड़ी मुश्किल से,
मिलता है ये पाक प्यार के समंदर से।
दोस्ती भी यारों न जाने कैसी बला है,
मुहब्बत भी न कर पाई इससे मुकाबला है।
मित्र करता हर मुसीबत में सहयोग,
प्रकृति का ये कैसा अद्भुत संजोग।
मित्र के बिना सूना- सूना ये संसार,
कितना पाक-पवित्र ये प्यार ।
दोस्ती तो है सब शैतानों की नानी ,
करते दोस्त मिल-जुल कर मनमानी।
हर ग़मों के तारो को बाट लेते हैं दोस्त,
हर नामुमकिन को मुमकिन कर देते है दोस्त।
-विधा सिंह
-कक्षा-चौथी

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