मंगलवार, 13 मार्च 2018

मित्र

मित्र
होता एक अनमोल रतन-धन ,
स्वच्छ-पाक होता है तन - मन। 
मिलती है ये दोस्ती बड़ी मुश्किल से,
   मिलता है ये पाक प्यार के समंदर से।
    दोस्ती भी यारों न जाने कैसी बला है, 
      मुहब्बत भी न कर पाई इससे मुकाबला है।
     मित्र करता हर मुसीबत में सहयोग,
     प्रकृति का ये कैसा अद्भुत संजोग।
मित्र के बिना सूना- सूना ये संसार,
कितना पाक-पवित्र ये प्यार । 
दोस्ती तो है सब शैतानों की नानी ,
करते दोस्त मिल-जुल कर मनमानी। 
हर ग़मों के तारो को बाट लेते हैं दोस्त,
हर नामुमकिन को मुमकिन कर देते है दोस्त।
                                                        -विधा सिंह 
                                                           -कक्षा-चौथी  

            

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