मंगलवार, 13 मार्च 2018

लेखनी

मैं न रहूंगी कल , न मेरा वजूद। 
पर लेखनी की ध्वनि में , रह लूंगी मौजूद। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मुक्तक