शनिवार, 21 अप्रैल 2018

वसुंधरा

प्यारी-प्यारी वसुंधरा है ,
रखना इसको हरा-भरा है ,
धरती को तुम मत करो नष्ट,
यह हम बच्चों का नारा है। 
  

गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

महानगर


महानगर में बढ़ रहा , घोर प्रदूषण आज। 
हवा जहर से है भरा , धूल-धुआँ का राज।।

मेला सोशल मीडिया , तनहा है इंसान।
इयर फ़ोन हटता नहीं , करते  खराब कान।।

बर्गर , पिज़्ज़ा , चाउमिन , करते सभी पसंद।
नकली वाटर फॉल का , लेते हैं आनंद।।

भूल गए हैं सब यहाँ , रामायण का पाठ।
धर्म-कर्म के नाम पर , देखे अपना ठाठ।।

घायल मानव सड़क पर , करें नहीं सहयोग।
महानगर में बस रहे , पत्थर जैसे लोग।।

सब बच्चों के पास है , मोबाइल में खेल।
बाहर जाकर खेलना , बंद हुआ है मेल।।

महानगर में बढ़ रहे ,तरह- तरह के रोग।
मतलब रखते ही नहीं , इक दूजे से लोग।।

छोटे कपड़े पहनकर , भूले है संस्कार।
दिल बहलाने के लिए , जाते डांस बार।।

महानगर में है सभी , सुख-सुविधा भरपूर। 
हरियाली से हम मगर , होते जाते दूर।।

महानगर अच्छा बुरा , मिला-जुला है रूप।
दूर बुराई को करें ,सुन्दर बने स्वरूप।।

-वेधा सिंह
-कक्षा-पाँचवीं 

सोमवार, 9 अप्रैल 2018

पांचवी कक्षा में मेरा पहला दिन

आज मेरे विद्यालय में पांचवी कक्षा में मेरा पहला दिन था। सब कुछ नया था। सिर्फ दोस्त वहीं थे। नई कक्षा, नए अध्यापक/ अध्यापिकाएँ। मैं सुबह सुबह बहुत खुश होकर उठी। अंदर में उत्सुकता बहुत हो रही थी। मैं जल्दी - जल्दी तैयार हुई। तभी अचानक आसमान ने अपना रूप बदला। तेज तूफान के साथ बारिश बहुत तेज शुरू हो गई। मम्मी ने मुझे एक रैनकोट दिया और जाने कहा। मगर मुझे पता था की रैनकोट में मैं भींग जाती हूँ। इसलिए मैं छाता देने की जिद करने लगी। छाता तो नहीं ही मिला मगर मैं बस के लिए लेट भी हो गई थी। किसी तरह रैनकोट डालकर मैं बस स्टॉप पर पहुँच गई। भगवान का शुक्र था कि मेरी बस नहीं छूटी मगर मैं पूरी गीली हो गई। पूरा सड़क पानी से भरे होने के कारण मेरे जूते भी गीले हो गए। तभी हमारी बस आई। बस में चढ़ते ही बारिश थमने लगी। ऐसा लगा जैसे बारिश सिर्फ हम मासूम बच्चों को भींगाने आई थी। बस में चढ़कर कुछ देर अपने दोस्तों से गप्पे मारे। मेरी एक दोस्त बोली, ' ओह, अच्छा हुआ मैं भींगी नहीं। हा हा हा , तुम सब तो पुरे ही भींग गए। कोई बात नहीं सुख जायेगा। कुछ देर में हम विद्यालय पहूंचे। तभी फिर से टिप टिप बारिश ने अपना रूप बदल लिया। बारिश बहुत तेज होने लगी इस बार मैं बिना भींगे अपनी कक्षा तक पहुंच गई। मगर मेरी दोस्त जो हमारा मज़ाक उड़ा रही थी वो पूरी भींग गई। कक्षा में प्रवेश करते हीं मेरी सांसें चढ़ने लगी। यह देख कर की आधे घंटे के लिए दो सेक्शंस को एक साथ बैठना पड़ेगा। तभी कुछ देर बाद हमारे कक्षा में घोषणा हुई की हम सभी को अलग अलग बाँट दिया जायेगा। मेरे कई दोस्तों को अलग सेक्शंस में दाल दिया और हम सब एक दुसरे बिछड़ गए। फिर हमारी क्लासेस शुरू हुई। पहला पीरियड मैथ्स का था। मेरी सबसे पसंदीदा टीचर दपिंदर मैम हमारी मैथ्स की अध्यापिका बनी। सभी सब्जेक्ट्स की टीचर मुझे बहुत अच्छी लगी। मनोरंजन में बहुत कुछ जुड़ा। हम लोग स्कूल के क्लब्स का चुनाव करेंगे। मैंने तो द लिट्रेसी क्लब चुना। इस क्लब में बच्चे अपनी मन पसंदीदा कहानी पढ़ सकते हैं और उन्हें लिटरेचर की ओर बहुत बढ़ावा मिलता है। अब हम सब साइंस लैब भी जा सकते हैं। मैं तो बहुत उत्सुक हूँ ये सभी नई चीज़े करने के लिए। 
वेधा सिंह  

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

गाय

 हिन्दू धर्म में गाए हमारी माता होती है। गाए माता होने के साथ साथ घरेलू जानवर भी है। गाए का पौस्टिक दूध हमें स्वस्थ रखता है। गाए का पेशाब पीने से देह में सभी प्रकार की पीरा दूर हो जाती है। गाए का गोबर किसी घाव पर लगाने से वो घाव जल्द ही भर जाता है। गाए का गोबर इतना शुद्ध माना जाता है की लोग उसे पूजा में इस्तेमाल करते है। वैसे आपने ये सब बाते तो पहले भी सुनी होगी। मगर अब मैं आप सभी को कुछ अलग बताने जा रही हूँ। गाए के खूर से अगर किसी व्यक्ति पर धुल लग जाता है तो वो गंगा स्नान कर लेता है। गाए का शुद्ध घी जलाने से उसमे से एक टन ऑक्सीजन प्राप्त होता है। तो ये हवा को शुद्ध करने का बिलकुल सरल उपाय है।  धार्मिक ग्रंथों में लिखा है "गावो विश्वस्य मातर:" अर्थात गाय विश्व की माता है। गौ माता की रीढ़ की हड्डी में सूर्य नाड़ी एवं केतुनाड़ी साथ हुआ करती है, गौमाता जब धुप में निकलती है तो सूर्य का प्रकाश गौमाता की रीढ़ हड्डी पर पड़ने से घर्षण द्धारा केरोटिन नाम का पदार्थ बनता है जिसे स्वर्णक्षार कहते हैं। यह पदार्थ नीचे आकर दूध में मिलकर उसे हल्का पीला बनाता है। इसी कारण गाय का दूध हल्का पीला नजर आता है। इसे पीने से बुद्धि का तीव्र विकास होता है। जब हम किसी अत्यंत अनिवार्य कार्य से बाहर जा रहे हों और सामने गाय माता के इस प्रकार दर्शन हो की वह अपने बछड़े या बछिया को दूध पिला रही हो तो हमें समझ जाना चाहिए की जिस काम के लिए हम निकले हैं वह कार्य अब निश्चित ही पूर्ण होगा। गाए के खूर के दर्शन करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। मानना है की गौ माता के शरीर में सभी ईश्वर का वास होता है। गाए हमें देती बहुत कुछ है मगर मनुष्य अब उनके साथ दुर्व्यवहार कर रहा है। गाये से भरपूर दूध प्राप्त करने के लिए मनुष्य उन्हें इंजेक्शन दे कर दूध प्राप्त करता है। इस वजह से गाए कमज़ोर हो जाती है। इंजेक्शन लगे दूध को पीकर हमारा देह भी कमज़ोर हो जाता है क्योंकि दूध में रसायन मिल जाता है। जब गाए बुजुर्ग होकर दूध देना बंद कर देती है तब उन्हें मरने से पहले ही मार दिया जाता है। उनकी चर्बी निकाल कर सामान बनाये जाते है और उनके मांस को विदेश में बेच दिया जाता है।दुःख इस बात का भी होता है कि लोग गाय को आवारा भटकने के लिए बाजारों में छोड़ देते है। उन्हें इनके भूख प्यास की कोई चिंता ही नहीं होती आज भी कई घरों में गाय की रोटी रखी जाती है। कई स्थानों पर संस्थाएं गौशाला बनाकर पुनीत कार्य कर रहे है, जो कि प्रशंसनीय कार्य है। साथ ही यांत्रिक कत्लखानों को बंद करने का आंदोलन, मांस निर्यात नीति का पुरजोर विरोध एवं गौ रक्षा पालन संवर्धन हेतु सामाजिक धार्मिक संस्थाएं एवं सेवा भावी लोग लगातार संघर्षरत है। गाय हमारी माता है एवं गौ रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है।  
   

-वेधा सिंह 
-कक्षा-चौथी 

सुन्दर जगह


मेरा मन तो चल पड़ा , खास जगह की ओर। 
जहां प्रेम ही प्रेम है , मधुर सुहानी भोर।।

जादू

मेरे पास अगर जादू होता,
तब नामुमकिन भी मुमकिन होता ,
मन करे तो मैं हवाओं में उड़ती ,
हर सपना तब तो सच्चा होता।
              -वेधा सिंह 

मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

Teacher

Teacher are the third god ,
they teach us like a lord.
They give us love like our mother,
also scold us like our father.
They care for us all day and night,
they teach us not to fight.
They take us to the  path of success,
give us courage to face different changes.
Teachers are great gift for all of us.
to the sky they are always ready to lift us .
Teachers are our best friends,
where I reveal all my secrets.
-Vedha Singh
-Class - V

रिश्ते

रिश्ते होते रेशम की डोर ,
रेशम से भी ज्यादा कमज़ोर,
मिलते है ये बड़ी मुश्किल से,
दिल का ये बड़ा अनूठा चोर। 

उचाई की ओर

ऊँचाई की ओर चल , मैं अम्बर लूँ थाम।
सफलता का स्वप्न लिए, निडर करूँ मै काम।।

रविवार, 1 अप्रैल 2018

पापा

जब पापा होते मेरे पास।
वो दिन तब होता सबसे खास।
पापा संग करती मस्ती।
तब न होती मैं कभी उदास।
-वेधा सिंह
          

पापा

मैं हूँ पापा की परी , उनकी दिल-ओ-जान।
 दिनभर मनमानी करूं , कहते वो शैतान।

पापा जी मेरे लिए , लाना मिल्की बार।
देर किया तुमने अगर, नहीं मिलेगा प्यार।।
-वेधा सिंह 

पानी

मैं पानी की बून्द हूँ , मुझसे बुझती प्यास।
करो मुझे  बर्बाद मत, मैं हूँ सबसे खास । ।

मैं नन्हीं सी बूँद हूँ , देती जीवन दान।
रखे सुरक्षित सब मुझे , दे दो सब को ज्ञान।
-वेधा सिंह 

मुक्तक